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हमने विदेशी परंपरा को लागू कर बच्चों को संस्कारों में पीछे छोड दिया : विनय सागर

48 दिवसीय भक्ताम्बर विधान में 51 बच्चों को स्कूल सामग्री वितरण

भिण्ड। आज बदलते परिवेश में ज्यादातर परिवारों में शिक्षा का बोलबाला चल रहा है। विदेशी पंरपरा को हमने लागू कर संस्कारों को पीछे छोड दिया है। जबकि पहले संस्कारों के साथ हर परिवार में शिक्षा दी जाती थी। जिसके परिणाम स्वरूप बेटे और बेटियां चरित्रवान, शीलवान होकर संस्कारवान होते थे। आज लोगों की प्रवृति में भय के कारण सुधार नहीं हो रहा है। साथ ही आज हम बंधन को स्वीकार नहीं करना चाहते, जबकि बगैर बंधन के जीवन सुरक्षित नहीं है। आज के बच्चों को संयम की शिक्षा नहीं मिल रही है। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में सोमवार को महावीर कीर्तिस्तंभ परिसर में बच्चों को स्टेशनरी वितरण व 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में व्यक्त किए।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध तथा विदेशी संस्कृति के पनपते जा रहे प्रकोप से आज शिक्षा के क्षेत्र में बडा बोलबाला हो गया है। आज हर माता-पिता अपने बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा दिलाने के सभी प्रयास कर रहे हैं। जबकि कुछ समय पूर्व ज्ञान से ज्यादा संस्कारों का महत्व होता था। उन्होंने कहा कि बेटियां बहुमूल्य रत्न की तरह हैं, उनकी सुरक्षा के साथ बेटियों को क, ख, ग की तरह शुरुआत कर भगवान ने भी ज्ञान के साथ संस्कार दिए थे। यह परंपरा संस्कारों की प्राचीन काल से चली आ रही है। जिसमें माता-पिता अपने बच्चों को पहले संस्कार के साथ शिक्षा दिलाते थे।
मुनि के सानिध्य में 51 बच्चों को स्कूल सामग्री वितरित
प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में जैन मिलन एवं जैन मिलन महिला शाखा भिण्ड द्वारा छोटे-छोटे 51 बालक-बालिकाओं को स्कूल स्टेशनरी साम्रगी का वितरण संस्था की अध्यक्ष सपना जैन, मंत्री लक्ष्मी जैन, सुनीता जैन, सोनम जैन, ज्योति जैन, सुमन जैन एवं जैन मिलन के राष्ट्रीय पदाधिकारी नितेश जैन, क्षेत्रीय उपमंत्री सुनील जैन, अंजू जैन, ज्योति जैन आदि ने सहयोग किया।
भगवान जिनेन्द्र का मंत्रों से किया अभिषेक, हुई शांतिधारा
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ का जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर शांतिधारा जोली जैन परिवार ने की। मुनि को शास्त्र भेंट समजा जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन जोली सपना जैन परिवार ने किया।
भक्ताम्बर विधान में भक्ति के साथ चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में जोली-सपना जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भजनों पर नृत्य करते हुए महाअष्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।

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