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धर्म

सखी भेष में डॉ हनुमान के नाम से प्रसिद्ध दुनिया का इकलौता मंदिर है दंदरौआ धाम, केंसर जैसे असाध्य रोगियों के ठीक होने की मान्यता।

सखी भेष में डॉ हनुमान के नाम से प्रसिद्ध दुनिया का इकलौता मंदिर है दंदरौआ धाम, केंसर जैसे असाध्य रोगियों के ठीक होने की मान्यता।

दंदरौआ धाम में है 700 वर्ष पुरानी हनुमान जी की है प्रतिमा।

जमीन में खुदाई के दौरान मिली थी हनुमान जी की प्रतिमा।

डॉ हनुमान के नाम से जाने जाते है दंदरौआ धाम के हनुमान जी।

कैंसर जैसे असाध्य रोगों से छुटकारा मिलने की है मान्यता।

भिंड जिले के मेहगांव क्षेत्र में है सुप्रसिद्ध दंदरौआ धाम जंहा विराजमान में हैं डॉ हनुमान जी की चमत्कारी प्रतिमा। भिंड जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दंदरौआ धाम, यहां पहुंचने के लिए ग्वालियर की ओर से चितौरा मौ मार्ग एवं गोहद मेहगांव मार्ग से बसों एवं निजी वाहनों से सड़क मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं वही इटावा की ओर से आने वाले श्रद्धालु भिंड मेहगांव होते हुए सड़क मार्ग से पंहुच सकते हैं। बताया जाता है कि दंदरौआ धाम में
700 बर्ष पहले खुदाई के दौरान दंदरौआ में निकली थी हनुमान जी की प्रतिमा,उसके बाद वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया को हनुमान जी की कराई थी स्थापना।

*सखी भेष में डॉ हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध दुनिया की इकलौती प्रतिमा*
दंदरौआ धाम के मंहत रामदास जी महाराज ने बताया कि सखी भेष में डॉ हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध विश्व की इकलौती प्रतिमा है जो सिर्फ दंदरौआ धाम में विराजमान है। महाराज जी ने बताया कि जब हनुमान जी लंका में सीता माता का पता लगाने के लिए गए थे तब उन्हें विभीषण ने युक्ति बताई थी कि लंका में जाना बहुत कठिन है यदि सखी भेष में जाओगे तो ही सीता माता से मुलाकात हो पाएगी, तभी हनुमान जी लंका में सीता माता का पता लगाने के लिए सखी भेष में गए थे, और जब पता लगाकर वापस आए तब भगवान श्री राम ने उनका स्वागत किया, इसी दिन दंदरौआ धाम में बुढ़वा मंगल मनाया जाता है बुढ़वा मंगल के दिन लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। और सखी भेष में प्रतिमा भी दंदरौआ धाम में ही विराजमान है।

*डॉ हनुमान कैसे पड़ा नाम,कैसे प्रकट हुई हनुमान जी की प्रतिमा!*
रामदास जी महाराज ने बताया कि डॉ हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित नहीं कराई थी बल्कि प्रकट हुई थी,करीब 700 वर्ष पूर्व खुदाई के दौरान हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी तब बाद में स्थापना कराई गई, महाराज जी ने बताया कि एक व्यक्ति को इतना दर्द हुआ कि वो बेहोश हो गया, तब उसे मंदिर की भभूति व टीका लगाया तो वह व्यक्ति एकदम खड़ा हो गया और मंदिर में नाचने लगा, जब हनुमान जी ने उस व्यक्ति के दर्द को हरा तभी से लोग हनुमान जी को दर्द हरने वाले दर्द हरौआ अर्थात दंदरौआ के डॉ हनुमान कहने लगे।

*कैंसर जैसे असाध्य रोगों से मिलता है छुटकारा देश के कौने कौने से पहुंचते हैं भक्त!* दंदरौआ आने वाले भक्तों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि यहां आने से कैंसर जैसे असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है इसलिए यहां मंगलवार एवं शनिवार के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, मंदिर के महंत रामदास महाराज ने बताया कि जो असाध्य रोगों से ग्रसित रोगी आते हैं वह मंदिर की भभूत व तिलक लगाने और दर्शन करने एवं 5 परिक्रमा लगाने से ठीक हो जाते हैं, इसलिए यहां मंगलवार एवं शनिवार को हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और साल में एक बार भादों माह के आखिरी मंगलवार यानी बुढ़वा मंगल के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है, यहां आने वाले सभी भक्तों को निशुल्क भंडारा भी कराया जाता है।

भिंड से प्रदीप राजावत की रिपोर्ट।

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