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सरस्वती शिशु मन्दिर जीवन जीने की कला सिखाते हैं : रघुवंशी

नर्मदापुरम। विद्या भारती मध्य भारत प्रांत की योजनानुसार चयनित नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग गोविन्द नगर में चल रहा है। वर्ग के उद्घाटन सत्र में आचार्य दीदियों को संबोधित करते हुए बीआरएसी राकेश रघुवंशी ने कहा कि सरस्वती शिशु मन्दिर विद्यालय जीवन जीने की कला सिखाते हैं। यहां संस्कारयुक्त शिक्षा पर जोर दिया जाता है। अनुशासन, समयपालन और देशभक्ति यहां की पूंजी है। मैंने भी सरस्वती शिशु मन्दिर विद्यालय में अध्यापन कार्य कराया है। आज मेरे जीवन में जो भी सकारात्मक परिवर्तन आया उसमें यहां की महत्वपूर्ण भूमिका है।
जिला प्रमुख रायसेन और वर्ग संयोजक राजेन्द्र सिंह ठाकुर ने आचार्य दीदियों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्या भारती का पहला विद्यालय 1952 में गोरखपुर उप्रा में प्रारंभ किया गया था, आज वह छोटा सा विद्यालय रूपी पौधा बड़े बटवृक्ष की तरह संपूर्ण भारत में सामाजिक समरसता, संस्कृति, स्वावलंबन, संस्कार युक्त शिक्षा, कौशल विकास की शिक्षा देने का पुनीत कार्य अहर्निश कर रहा है। विद्या भारती विश्व का सबसे बड़ा असरकारी शैक्षिक संस्थान है। विद्या भारती की पूर्वछात्र परिषद का ऑनलाइन पंजीयन आठ लाख के पार पहुंच गया। समाज में जागरुकता, सामाजिक चेतना स्वदेशी का भाव जगाना स्वभाषा स्वावलंबन, मातृभाषा में शिक्षा देने का पुनीत कार्य विद्या भारती सेवा भाव के साथ कर रही है।

अतिथि परिचय एवं मंच का सफल संचालन राजेश सराठे तथा अतिथि स्वागत योगेश पटैल, हेमंत पटेल ने किया। इस अवसर पर जिला समिति सदस्य बाबूजी चौधरी, प्रजापति, जिला प्रमुख महेन्द्र प्रताप सिंह चौहान, वर्ग महाप्रबंधक चरणसेवक प्रजापति आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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