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अपनी आत्मा से कर्मों को हटाने के लिए तप करना पडता है : विनय सागर

48 दिवसीय भक्ताम्बर विधान में चल रही प्रभु भक्ति आरधान

भिण्ड। अपनी आत्मा से कर्मों को हटाने के लिए तप करना पडता है, जैसे घी को बनाने के लिए मक्खन को तपाया जाता है, उसी प्रकार इस आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए अपनी आत्मा को तपाना पडता है। जिसके जीवन में सबसे ज्यादा संघर्ष होता है, वह अधिक मजबूत बनता है और संघर्षमय जीवन का उपसंहार हमेशा हर्षमय होता है। जीवन में यदि कुछ चाहते हो तो सहिष्णु बनना सीखो। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में गुरुवार को महावीर कीर्तिस्तंभ में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में व्यक्त किए।

मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति संकल्प द्वारा सब कुछ कर सकता है। दृढ इच्छा शक्ति के माध्यम से वह हर स्थिति में सफल हो जाता है। व्यक्ति जब कोई नियम लेता है तो उसकी परीक्षा अवश्य होती है। यदि वह उसे दृढता से पालता है तो वह हर स्थिति में सफल हो जाता है। जीवन में चाहे लौकिक क्षेत्र हो या पारलौकिक क्षेत्र हो धार्मिक क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र हो, शारीरिक क्षेत्र हो या कोई भी क्षेत्र हो, सफलता चाहते हो तो दृढ संकल्पित होना पडेगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का लक्ष्य सदैव ऊंचा होना चाहिए, जब तक वह अपनी क्षमताओं को नहीं पहचानेगा तब तक वह सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए कहा भी है मन के हारे हार है मन के जीते जीत। व्यक्ति अपनी दृढ इच्छा शक्ति के माध्यम से बडी से बडी चुनौतियों का सामना कर सकता है।
इन्द्रों ने 108 ऋद्धि-सिद्धि मंत्रों से किया भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ को जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा- रविन्द्र जैन, हिमांशु जैन, देवांशु जैन, प्रमोद जैन, अर्पित जैन परिवार ने शांतिधारा की। मुनि को शास्त्र भेंट समजा जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन रविन्द्र जैन, हिमांशु जैन, देवांशु जैन, प्रमोद जैन, वीना जैन, अर्पित जैन परिवार ने किया।
भक्ताम्बर विधान में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भगवान जिनेन्द्र को भक्ति के साथ चढाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में रविन्द्र जैन, हिमांशु जैन, देवांशु जैन, प्रमोद जैन, वीना जैन, अर्पित जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।

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