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घर-परिवार में संत का प्रवेश होना चाहिए, क्योंकि संत भगवान का प्रतिनिधि होता है : रामस्वरूपाचार्य महाराज

पाण्डरी वाले बाबा पर चल रही है नौ दिवसीय श्रीराम कथा

गोहद। जनपद पंचायत के चंदोखर-जसरथपुरा गांव के बीच स्थित पाण्डरी वाले बाबा धाम पर पिछले सात दिनों से चल रही नौ दिवसीय रामकथा में कथा वाचक कामदगिरि पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामस्वरूप आचार्य महाराज ने कहा कि हर परिवार में संत का प्रवेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत भगवान का प्रतिनिधि होता है और भगवान का प्रतिनिधि अगर परिवार में स्वस्थ संदेश दे रहा हैं, तो संत का संदेश नहीं भगवान का संदेश मानना चाहिए।
महाराज ने कहा जिन घरों में देववाणी पूजा करती थी आज उन घरों में पश्चिम के कल्चर का प्रवेश हो गया है। महिलाओं ने भारतीय परिधानों का त्याग कर दिया है और पश्चिम परिधान धारण कर लिए हैं। भारतीय परिधान श्रृद्धा को जन्म देते हैं और देखने वालों के मन में अपने आप श्रृद्धा भाव उमड़ती है। जैसे स्त्री के माथे पर लगी बिंदी और मांग भरी सिंदूर शगुन का प्रतीक होता है। उन्होंने कहा कि जब भी प्रभु का कलयुग में प्रादुभावि होगा निश्चित ही शहर में नहीं गांव में ही होगा। गांव में आज भी मर्यादा है और जहां मर्यादा होती है वहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम निश्चित होते हैं। शहर विकास के प्रतीक हैं, शहर के पीछे ग्रामीणों को ठुकराना ठीक नहीं है, शहर के कारण ही गांव में रहने वाले लोग हमें शहर गांव दोनों से जुडऩा हैं।

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