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मनुष्य जीवन रत्न है, इससे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है : विनिश्चय सागर

भिण्ड। आदिनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय मन्दिर बतासा बाजार में विराजमान आचार्य 108 विनिश्चय सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में बहुत से लोग रोते हैं, दुखी होते हैं, अपने भाग्य को कोसते हैं। अपनी किस्मत को खराब कहते हैं कि मेरे पास कुछ नहीं है। मुझे ये नहीं मिला, मुझे वो नहीं मिला, लेकिन शिकायत करने वाले लोग ये नहीं जानते कि तुम्हें जो मनुष्य जीवन मिला है। ये चिंतामणि रत्न है। इस रत्न के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इस मनुष्य रूपी रत्न को पाने के लिए देवता भी तरसते हैं, क्योंकि मनुष्य पर्याय जीवन एक ऐसा जीवन है जिसमें मुनि बनकर मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्य जीवन से बढक़र कोई सौभागय नहीं। ये सबसे बडा सौभागय है, जो आपको प्राप्त हुआ है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति करना होता है। संतों की शरण में आने से मनुष्य जीवन ज्ञान रूपी प्रकाश से भर जाता है। संतों से ज्ञान प्राप्ति कर मोक्ष मार्ग को प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम के शुभारंभ में गणाचार्य विराग सागर महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन समाज के श्रेष्ठ जनों द्वारा किया गया। इस अवसर पर अशोक जैन महामाया, शैलेन्द्र जैन, रतनलाल जैन, कृष्ण कुमार जैन, विनोद जैन, राजेश जैन, मनीष जैन, रिंकू जैन, राजेन्द्र जैन बिल्लू् सहित तमाम महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित रहे।

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