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बच्चों को अच्छा नहीं सिखाया तो वे संस्कारों से दूर रहेंगे: देवी संध्या जी

किशूपुरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन

भिण्ड। अटेर क्षेत्र के ग्राम किशूपुरा में महिला मण्डल किशूपुरा की अध्यक्ष सुशीलादेवी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन कराया जा रहा है। जो 20 मार्च तक चलेगा। कथा का वाचन भागवताचार्य देवी संध्या जी द्वारा किया जा रहा है एवं पारीक्षत राजेन्द्र सेंगर हैं।
बुधवार को श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन बुधवार को भागवताचार्य देवी संध्या जी ने अपने मुखारविंद से कहा कि जो दिया है उसमें ही खुश रहो, बच्चों को संस्कारित बनाओ, बच्चों को अच्छे काम में लगाएं, यदि बच्चों को अच्छा नहीं सिखाया तो वे अच्छे संस्कारों से दूर रहेंगे, बच्चों को शास्त्रों का संस्कार दो। धुंधकारी गलत संगत में पड़ गया, शराब, जुआ, मदिरा का सेवन करने लगा। वैश्याओं के साथ रहने लगा। धुंधकारी धन विलासिता में लगाने लगा। भजन में मन लगाएं, बुढ़ापे का इंतजार नहीं करें। अपनी भक्ति का कर दो मुझको दीवाना। अपने चरणों में मुझको जगह दीजिए।। बरना हमको जहां से उठा लीजिए। जिसने अपने हृदय को परमात्मा के लिए नहीं किया। धंधुकारी प्रेम बना, मुक्ति कैसे हो। जिंदा की चुगली करने में लगते हैं, जब मर जाता है तब प्रशंसा करते हैं। अपने से बड़ों का हमेशा सम्मान करो। मरने के बाद श्राद्ध करें, किंतु जीते जी उसका सम्मान करें। धुंधकारी जब सात दिन भागवत सुनता है तब उसकी मुक्ति होती है। श्रवण में जब तन्मयता आ जाती है, तब ठाकुर जी उसे शरण में ले लेते हैं। प्रभु की कथा में घर संसार की बात छोड़ दो, तब कथा का श्रवण सार्थक है।
भागवताचार्य देवी संध्या जी ने संस्कारों पर विशेष जोर देते हुए कहा कि संतान को संस्कार दो, जिससे अपने बुजुर्गों, बड़ों का आदर सम्मान करें, उनके प्रति श्रृद्धा रखें, यदि संतानों में संस्कार होंगे तो वो सही रास्ते पर चलेंगे। भगवान के प्रति श्रृद्धा एवं भक्तिभाव होना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। इसलिए कथा को पूरे मनोयोग एवं भक्ति भाव से सुनना चाहिए। उन्होंने सत्य को महत्व देते हुए धर्म, दान की महिमा का वर्णन किया।

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