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नशा निवारण दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम एवं शपथ ग्रहण

भिण्ड। नवांकुर संस्था भागवंती बाई शिक्षा प्रसार समिति भिण्ड द्वारा मप्र जन अभियान परिषद के मार्गदर्शन में अंतराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस के अवसर पर जागरुकता शिविर एवं शपथ ग्राहण कार्यक्रम का आयोजन जिला मुख्यालय स्थित बृह्मपुरी चतुर्वेदी नगर में किया गया। उत्कृष्ट उमा विद्यालय क्र.एक के शिक्षक धीरेन्द्र सिंह गुर्जर के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम की अध्यक्षता जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक शिवप्रताप सिंह भदौरिया ने की। इस मौके पर संस्था सचिव शशिकांत शर्मा, कार्यक्रम समन्वयक अजय कुशवाह, सह समन्वयक सरिता चैहान, आशा जिला प्रशिक्षक रमाकांत शर्मा, सुनीता कुशवाह, सुनीता श्रीवास्तव एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
इस अवसर पर शिवप्रताप सिंह भदौरिया ने कहा कि तंबाकू एवं धूम्रपान से शारिरिक हानि तो होती है, परंतु हमारे आय का काफी हिस्सा जो बच्चों की पढ़ाई में न लगाते हुए नशे की समाग्री पर खर्च कर देते हैं। तंबाखू के धुएं में चार हजार किस्म के रसायन होते हैं, 60 तत्व कैंसर जैसे रोग उत्पन्न करते हैं, तंबाखू में मौजूद निकोटिन नशे का आदी कर देता है। तंबाखू सेवन से करीब 11 हजार लोग प्रतिदिन मरते हैं, इसके कारण उसमें अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है। धीरज सिंह गुर्जर ने कहा कि गीता हमें जीवन जीना सिखाती है। परंतु मादक पदार्थों ने हमारी संस्कृति ही तहस-नहस कर दी है। बच्चों में देखकर सीखने की प्रबल क्षमता होती है, इसलिए नशे से दूर रहना ही हितकर है। नशा करने वाली महिलाओं के बच्चे कम वजन के, मानसिक रूप से विकलांग अथवा कम समय के पैदा होते हैं। बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक अपना आदर्श बच्चों के सामने रखे, जिसका अनुकरण हमारी नई पीढ़ी कर संस्कारवान बनें।
संस्था सचिव शशिकांत शर्मा ने कहा कि युवा देश की शक्ति है, नशे की प्रवृति इनकी शक्ति को नष्ट करती है। नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या केवल सामाजिक ही नहीं बल्कि बहुपक्षीय समस्या है, इसमें समाज, नैतिकता, आर्थिक, चिकित्सीय, अवैध व्यापार एवं कानून आदि सभी सम्मिलित हैं। इसीलिए कहा गया है कि नशा नाश की जड़ है भाई, जिसका त्याग करो-त्याग करो। रमाकांत शर्मा ने कहा कि हम सभी नियम बनाते हैं, हम अपना नियम बनाएं कि चाहे हमारा मित्र हो या रिश्तेदार हो, अगर नशा करता है तो न तो हम उसे अपने घर पर बुलाएं और न हम उसके घर पर जाएं, इससे नशा करने वालों में कमी आएगी। कार्यक्रम के अंत में सभी को नशा न करने और न करने देने की शपथ दिलाई गई।

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