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हमारे पर्यावरण की मित्र गौरैया तेजी से कम हो रही है. इसके संरक्षण के लिए हमें तेजी से ही प्रयास करने होंगे: भदौरिया।

हमारे पर्यावरण की मित्र गौरैया तेजी से कम हो रही है. इसके संरक्षण के लिए हमें तेजी से ही प्रयास करने होंगे: भदौरिया।
सुप्रयास ने आयोजित किया गौरैया संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम।
पशु-पक्षी हमारे पर्यावरण को संतुलित करने का काम करते हैं. गौरैया पर्यावरण मित्र कहलाती है. कभी घरों के आंगन में चहचहाने वाली छोटी सी गौरैया चिड़िया अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. विलुप्त हो रही नन्ही सी गौरैया पक्षी को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. साल 2010 से हर साल गौरैया दिवस मनाते हुए लोग गौरैया को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं. लेकिन ये नन्हीं सी पक्षी धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है. उक्त उद्गार सी एम राइस स्कूल में प्रधानाध्यापक नरेश सिंह भदौरिया ने व्यक्त किए।नरेश सिंह भदौरिया सुप्रयास द्वारा आयोजित गौरैया संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम में बोल रहे थे।
पर्यावरण प्रेमी सत्यनारायण चतुर्वेदी ने कहा कि विश्व गौरैया दिवस को पर्यावरण मित्र गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इसके अलावा शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस दिन मनाया जाता है. जानकार बताते हैं कि इन नन्हीं सी चिड़ियों की विलुप्ति का कारण इंसान की बदलती जीवन शैली है.
वन्य जीवन कार्यकर्ता डॉ मनोज जैन ने कहा कि आपने बचपन में अक्सर घरों की मुंडेर और आंगन में चहचहाने और फुदकने वाली छोटी सी चिड़िया गौरैया को दाना चुगते देखा होगा. लेकिन लगातार हो रहे शहरीकरण, पेड़ों के कटान और फसलों में रासायनिक का छिड़काव गौरैया पक्षियों की विलुप्ति का कारण बन रहा है. फसलों में पड़ने वाले कीटनाशक खतरनाक होते हैं. जब छोटी सी पक्षी इन फसलों के दानों को खाती है तो कीटनाशक का असर उसके विभिन्न अंगों पर पड़ता है, जिसके चलते गौरैया पक्षी की प्रजनन क्षमता में कमी आई है जो विलुति का मुख्य कारण बन रहा है. इन सब में भी सबसे बढ़कर कारण है गौरैया को घोंसला बनाने के लिए स्थान न मिल पाना. उसके प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं. इसलिए हम लोगों को अब अधिक से अधिक गौरैया के लिए कृत्रिम आवास लगानी चाहिए। सुप्रयास के द्वारा गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में साल 2010 से ही कृत्रिम घोसला लगाए जा रहे हैं, जिम गौरैया द्वारा संतान उत्पत्ति की गई है।
इस अवसर पर विद्यालय के 400 बच्चों ने अपने-अपने घरों में कृत्रिम घोसला बनाकर लगाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में अरुण शर्मा, सिद्धनाथ पचौरी, मोहित दुबे, नीलिमा कुशवाह, कंचन कुशवाह, श्रीमती ज्योत्सना दुबे, बबली अवस्थी, गिरजेश शर्मा व गीता उपाध्याय ने भी गौरैया संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किये।

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