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नेत्रहीन को शिव पूजा करने से मिली आंखें, फिल्मों में दिखने वाले किसी चमत्कार से कम नहीं।

 

नेत्रहीन को शिव पूजा करने से मिली आंखें, फिल्मों में दिखने वाले किसी चमत्कार से कम नहीं।

नेत्र विशेषज्ञ ने कहा यह संभव नहीं, थोड़ा बहुत दिखना संभव है।

नेत्रहीन को शिव पूजा करने से 3 साल बाद मिली आंखें, जी हां अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि किसी की याददाश्त चली जाना, किसी की आवाज चली जाना या किसी की आंखें चली जाना और अचानक किसी मंदिर में पहुंचकर घंटों की गूंज और भगवान के जयकारों के बीच चमत्कार होते देखा होगा कि नेत्रहीन को आंखें, गूंगे को आवाज या याददास्त चली जाने पर किसी की याददाश्त आ जाना ऐसे कई नजारे आपने फिल्मों में देखे होंगे, मगर जो हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति को आंखों से दिखाई देना बंद हो गया था, मगर 3 साल बाद दिखाई देने लगा। इस घटना को ग्रामीण किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं, और आपको शायद यकीन भी ना हो, लेकिन यह घटना भिंड जिले के सरसई गांव की है जहां ग्रामीण एवं परिवारजनों ने बताया कि सुनील राजावत की 3 साल पहले आंखों से दिखाई देना बंद हो गया था उसके बाद सुनील के परिजनों ने सुनील को भिंड, ग्वालियर और चित्रकूट के अलावा कई जगह आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों से इलाज कराया, मगर डॉक्टरों की ओर से जवाब मिला कि आंखों तक रोशनी पहुंचाने वाली नसें सूख गई है जिसके कारण उन्हें दिखाई नहीं देगा ना ही इसका कोई इलाज है। आखिर में सुनील के परिजन हार मानकर घर वापस आ गए, लेकिन सुनील राजावत ने शंकर भगवान से उम्मीद लगाई और सरसई गांव के शिव मंदिर मैं प्रतिदिन जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने लगे और सुबह-शाम पूजा करने लगे, अचानक 3 साल बाद वह हुआ जिस पर आप यकीन नहीं करेंगे जो फिल्मों में चमत्कार देखते चले आ रहे हैं वही चमत्कार सरसई गांव में होली के 2 दिन पूर्व देखने को मिला जब सुनील राजावत हर दिन की तरह डंडे का सहारा लेकर मंदिर से पूजा कर वापस घर आ रहे थे तभी उन्हें मंदिर से कुछ दूरी पर चलकर ट्रैक्टर ट्राली दिखाई दी उन्हें यकीन नहीं हुआ और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगे कि मुझे दिखाई देने लगा और खुशी के आंसू निकले और भावुक होकर रोने भी लगे तब गांव वाले इकट्ठा हो गए और गांव वालों को भी यकीन नहीं आया, ग्रामीण उन्हें उनके घर तक ले गए, सुनील राजावत कहते हैं कि शंकर भगवान ने उन्हें नई जिंदगी दी है। वहीं सुनील राजावत ने कुछ महीने पूर्व पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा दंदरौआ धाम पहुंचकर सुनी और कुंडेश्वर धाम भी गए वह शंकर जी के साथ-साथ पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में भी ध्यान लगाने लगे थे उनका कहना है यह सब चमत्कार शंकर भगवान की कृपा से हुआ है।

नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर तन्मय शर्मा ने कहा कि यह सब संभव नहीं है क्योंकि दिमाग से आंखों तक जुड़ी नसें सूख जाने के बाद दिखाई देना संभव नहीं है और इसका कोई इलाज भी नहीं है मगर हो सकता है कि अच्छे खान-पान की वजह से नसों में थोड़ी बहुत हलचल बड़ी हो और थोड़ा बहुत कुछ समय के लिए दिखाई देने लगा हो डॉक्टर इसे चमत्कार नहीं मानते। लेकिन क्षेत्रवासी,ग्रामीण इसे चमत्कार मानकर सुनील को देखने के लिए जा रहे हैं साथ ही शिव मंदिर पर पहुंचकर पूजा अर्चना भी कर रहे हैं, सुनील को 3 साल बाद आंखों से दिखाई देना यह भगवान के प्रति आस्था है या चमत्कार या अंधविश्वास यह आप पर निर्भर करता है।

भिंड से प्रदीप राजावत की रिपोर्ट।

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