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धर्म

200 किलोमीटर चलकर 51 पला की कांवड़ लेकर आए भक्त, 1000 वर्ष पुराने ढूंढेश्वर मंदिर पर चढ़ाया जल।

200 किलोमीटर चलकर 51 पला की कांवड़ लेकर आए भक्त, 1000 वर्ष पुराने ढूंढेश्वर मंदिर पर चढ़ाया जल।  ।

भारी बारिश भी भक्तों की भक्ति पर फीकी हुई साबित।

डीजे ढोल नगाड़े के साथ नाचते गाते कावड़िया पहुंचे मंदिर।

श्रावण मास के चोथे सोमवार शिव भक्ति में डूबा भिंड।

1000 वर्ष पुराने ढूंढेश्वर मंदिर पर चढ़ाया जल।

*1000 वर्ष पुराना व स्वयंभू है शिवलिंग!*
भिंड जिले का सुप्रसिद्ध ढूड़ेश्वर महादेव मंदिर जो जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर लहरौली गांव में बीहड़ के किनारे स्थित है। यहां बताते हैं कि गांव को बसे हुए करीब 1000 वर्ष हो चुके हैं और उससे पूर्व की शिवलिंग है जो स्वयंभू है।

51 पला की कांवड़ में 200 किलोमीटर दूर से जल भरकर लाए कांवड़िया!
भोले बाबा के भक्त ढूंढेश्वर मंदिर पर सिंगीरामपुर उत्तर प्रदेश गंगा नदी से 200 किलोमीटर की दूरी तय कर पहली बार 51 पला की कावड़ में जल भरकर पहुंचे, कांवड़ियों ने बताया कि रास्ते में काफी बरसात हुई मगर भोले बाबा की कृपा से वह भजन कीर्तन पर नाचते गाते हुए मंदिर पहुंचे और उन्होंने अपने गांव एवं देश की खुशहाली के लिए जल चढ़ाया।

भक्तों की होती है मनोकामना पूर्ण!
ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, मंदिर में लहरौली गांव के ही नहीं बल्कि आसपास के लोग भी अपनी मनोकामना लेकर ढूड़ेश्वर मंदिर पर पहुंचते हैं और उनकी भगवान भोलेनाथ हर मनोकामना पूरी करते हैं।

शिवलिंग को काफी गहरी खुदाई के बाद भी नहीं ले जा सके दूसरी जगह!

ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर जो की बीहड़ में खार (नाले) के किनारे है जिससे कटाव का खतरा बना हुआ था, इसलिए शिवलिंग को दूसरे स्थान पर ले जाने की कोशिश की और काफी खुदाई भी करवाई गई मगर शिवलिंग के तह तक लोग नहीं पहुंच सके और तभी पुजारी को सपना हुआ कि यह शिवलिंग स्वयंभू है और जब तक शिवलिंग है कितना भी नदी का जलस्तर बढ़ जाए कटाव नहीं होगा, तब से लेकर आज दिन तक सुरक्षित है मंदिर और गांव।

ग्रामीणों ने मंदिर जर्जर होने के बाद नए मंदिर का कराया निर्माण!

ढूड़ेश्वर मंदिर जो काफी पुराना और जर्जर हालत में हो चुका था, ग्रामीणों ने चंदा करके विशाल भव्य मंदिर राजस्थान के कारीगरों के द्वारा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराया है जो आज भी जारी है, मंदिर पर शिवरात्रि, सोमवार एवं श्रावण मास के महीने में भक्तों का ताता लगा रहता है।

भिंड से प्रदीप राजावत की रिपोर्ट।

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