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शिक्षा

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत प्रशिक्षण सह कार्यशाला का हुआ आयोजन, बच्चों को पोक्सो अधिनियम के तहत विस्तार से दी गई जानकारी।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत प्रशिक्षण सह कार्यशाला का हुआ आयोजन।

बच्चों को पोक्सो अधिनियम के तहत विस्तार से दी गई जानकारी।

कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार जैन के निर्देशन में स्वरूप विद्या निकेतन स्कूल भिण्ड में मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति के अंतर्गत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत् प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें महिला बाल विकास विभाग की ओर से उपस्थित बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना द्वारा पोक्सो अधिनियम के तहत विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि हमें सर्वप्रथम सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श को समझना होगा और उसके बाद यदि कोई हमारे स्पर्श के नियमों को तोड़ता है तो तत्काल हमें उसका विरोध करना है और इसके बाद भी यदि वह नहीं मानता तो शोर मचाकर सुरक्षित स्थान पर जाना है।
उनके द्वारा आगे अवगत कराया गया कि पक्ष अधिनियम के तहत बालकों को बहुत सी सुविधाएं प्रदान की गई हैं अधिनियम में व्यवस्था की गई है की पुलिस पीड़ित व्यक्ति से पुलिस यूनिफॉर्म में नहीं मिलेगी पीड़ित व्यक्ति से कोई भी बात पुलिस साधारण कपड़ों में करेगी और पीड़ित व्यक्ति से संपर्क में आने वाला पुलिस अधिकारी संभवतः सब इंस्पेक्टर की रैंक से नीचे का नहीं होगा और महिला अधिकारी को प्राथमिकता दी जाएगी साथ ही पोक्सो अधिनियम के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को बार-बार थाने नहीं बुलाया जाएगा अपितु पुलिस पीड़ित व्यक्ति के पसंद की जगह पर पूछताछ करेगी।

सपोर्ट पर्सन की व्यवस्था:- उक्त संबंध में बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना द्वारा स्पष्ट किया गया कि अधिनियम में प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति के लिए सपोर्ट पर्सन की व्यवस्था की गई है सपोर्ट पर्सन का तात्पर्य है एक ऐसा व्यक्ति जो पीड़ित व्यक्ति से एक दोस्ताना व्यवहार करते हुए उसकी सभी समस्याओं को जानकर इसकी पीड़ा को पुलिस, न्यायाधीश के समक्ष बताएगा अर्थात पुलिस और जज, सीधे पीड़ित बच्चे से बात नहीं करेंगे अपितु सपोर्ट पर्सन के माध्यम से पीड़ित बालक से बात होगी और जब भी बालक का मन होगा तो वह जवाब देने के लिए मना कर सकता है अगली तारीख मांग सकता है और सपोर्ट पर्सन की यह जवाब देही होगी कि वह बालक के संबंध में समस्त जानकारी अपने तक ही रखें और सारी जानकारियां गोपनीय रहेंगी। किसी भी स्तर पर उनका प्राकट्य नहीं किया जाएगा।

बालक की परिभाषा:- बालक को स्पष्ट करते हुए अवगत कराया गया कि हर वह व्यक्ति जिसने 18 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की है बालक समझा जाएगा अधिनियम में बालक एक जेंडर न्यूट्रल शब्द है जिसका तात्पर्य बालक और बालिका दोनों से है।

अपराध को छुपाना भी अपराध है:- बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि अधिनियम में रिपोर्टिंग को अनिवार्य किया गया है अर्थात यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई अपराध हुआ है या अपराध करने की कोशिश की गई है तो उसकी तत्काल रिपोर्टिंग सक्षम अधिकारी को की जानी है ऐसा न करने पर अपराध को छुपाना भी अपराध माना गया है जिसके लिए भी अधिनियम में दंड का प्रावधान है।

ट्रांसलेटर, द्विभाषियां,विशेष शिक्षक की व्यवस्था:- बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना द्वारा अवगत कराया गया कि यदि कोई बालक किसी दूसरे जगह से आया है जहां उसकी भाषा रहन-सहन अलग है और उसके साथ किसी व्यक्ति के द्वारा अपराध कारित किया जाता है तो ऐसे बालक को उसी भाषा में, जो भाषा बालक समझता है को द्विभाषियां, ट्रांसलेटर और यदि कोई बालक विशेष आवश्यकता वाला है मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो ऐसे बालकों के लिए विशेष शिक्षक का प्रावधान है और उनकी सहायता से पुलिस अथवा न्यायालय में न्यायाधीश प्रकरण पर कार्यवाही करते हैं।

डर और लालच में न आएं बच्चे:- अजय सक्सेना द्वारा सभी बालकों को अवगत कराया गया कि सामान्यतः ऐसी घटनाओं में डर और लालच रहता है अतः हमें किसी से डरना नहीं चाहिए और ना ही लालच में आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति किसी से यह कहता है कि यह हमारे आपस की बात है, हमारा अपना सीक्रेट है या कोई मैजिकल सीक्रेट है तो तत्काल उक्त जानकारी अपने माता-पिता को दें। दुनिया में ऐसी कोई भी बात नहीं है तथा न ही ऐसा कोई रहस्य है जो हम अपने माता-पिता से शेयर ना कर सकें इसलिए कभी भी डरें नहीं ना ही किसी के बहकावे में आकर लालच में आएं और सारी बात अपने माता-पिता को बताएं यह एक नियम बना लें।

कार्यक्रम में महिला बाल विकास विभाग की ओर से आंकड़ा विश्लेषक जितेंद्र शर्मा, लेखपाल आनंद मिश्रा, विद्यालय के प्रिंसिपल जीतू दोनेरिया एवं विद्यालय का समस्त स्टाफ तथा सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित हुए।कार्यक्रम के बाद एक क्विज का आयोजन किया गया जिसमें सही जवाब देने वाले बालकों को पुरस्कृत किया गया।

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