परमानंद महाराज ने सुनाई बाल लीलाओं और गोवर्धन पर्वत की कथा

आलमपुर। लहार तहसील के गेंथरी-बेलमा गांव में गौंड़ बाबा मन्दिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास पं. परमानंद महाराज ने भगवान की बाल लीलाओं और गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई।
कथा व्यास परमानंद महाराज ने कहा कि भागवत कथा का श्रवण करने वालों का सदैव कल्याण होता है और मुक्ति मिलती है। मनुष्य जीवन विषय वस्तुओं को भोगने के लिए नहीं बना है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति छोडक़र विषय वस्तुओं को भोगने में भी लगा हुआ है, जीवन में सदैव दूसरे की भलाई के काम करते रहना चाहिए। व्यक्ति को सपने में भी किसी का अहित नहीं करना चाहिए, हमें यह मानव शरीर जगत कल्याण के लिए मिला है। इस शरीर से ज्यादा से ज्यादा मानव कल्याण के कार्य करें, समाज, राष्ट्र्र कल्याण के मार्ग पर दूसरों का सहित करने वाले को भगवान कभी क्षमा नहीं करते, इसलिए अपने जीवन में सदैव दूसरों के हित का कार्य करें। जब-जब धरती पर धर्म नष्ट होकर अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान इस धरती पर जन्म लेकर भक्तों का उद्धार करते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व बताया
भागवत कथा के दौरान कथाव्यास ने गोवर्धन पूजा का महत्व बताया, जिसके बाद श्रृद्धालुओं ने भगवान गोवर्धन की पूजा कर परिक्रमा की। उन्होंने कहा कि इन्द्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमण्ड हो गया था, उसका घमण्ड दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज में इन्द्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी, इससे गुस्साए इन्द्र ने ब्रज मण्डल पर भारी बारिश कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया, सात दिनों के बाद इन्द्र को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उसने भगवान श्रीकृष्ण से माफी मांगी।




