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गुरू पूर्णिमा यानि गुरू ही पूरी मां होती है : विनिश्चय सागर

भिण्ड। गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर भिण्ड नगर के ऋषभ सत्संग भवन चैत्यालय मन्दिर में गुरुभक्तों का सैलाब उमड़ा। उनका भक्तिभाव देखते ही बनता है। आज भी ऐसे काल में सच्चे गुरू और सच्चे भक्त होते हैं, ये दिखा दिया भिण्ड नगर के श्रृद्धालूओं ने। जैसा कि प्रत्येक जैन श्रृद्धालू को विदित है कि दिगंबर संत आचार्य विनिश्चय सागर महाराज ससंघ पावन चातुर्मास यानि चार महीनों का प्रवास भिण्ड नगर को प्राप्त हुआ है। आचार्य अपने संघ सहित चैत्यालय जैन मन्दिर बाताशा बाजार में विराजमान है। आज आचार्य के सानिध्य में भक्तों ने गुरू पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर अनेक श्रृद्धालूओं ने उत्साह और भक्ति के साथ झूम-झूमकर पूज्यस आचार्य की पूजा की।
इस अवसर पर आचार्य विनिश्चय सागर महाराज ने कहा कि गुरू पूर्णिमा को शब्द के रूप में देखें तो बहुत ही गहरा अर्थ यहां प्राप्त होता है, गुरू पूर्णिमा यानी गुरू ही पूरी मां है। क्योंकि जो संसारी मां होती है वह अपने बच्चे का पालन पोषण करती है पर गुरू ऐसे हैं कि अपने शिष्यों के भीतर शरीर और आत्मा दोनों का ही पालन-पोषण करते हैं, इसलिए गुरू ही पूरी मां है। बांकी संसार की जो माताएं है वह अधूरी मां है। अगर वह भी पूरी मां बनना चाहती हैं तो अपने बच्चों के केवल शरीर का ही पालन-पोषण न करें। उनकी आत्मा को भी संस्कोर प्रदान कर उन्हें प्रभु और गुरू से जोडऩे में सेतु बनें। जिससे मां और बच्चे सबका कल्याण हो। इस अवसर पर मुरैना के भक्तों ने शास्त्र भेंट और भिण्ड के युवाओं ने गुरुदेव का पाद प्रक्षालन किया।

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