आत्मानुशासन ही आपको महान बनाता है : विनिश्चय सागर

भिण्ड। आदिनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय मन्दिर बतासा बाजार में विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में आत्मानुशासन की बहुत जरूरत है। रावण के पास सोने की लंका थी और पूरी लंका पर उसका अनुशासन चलता था लेकिन स्वयं अपनी आत्मा पर अनुशासन नहीं कर सका और पाप करके नरक चला गया। राम के पास राज्य नहीं था, प्रजा नहीं फिर भी वे राजा थे क्योंकि उनका अपनी आत्मा पर पूरा अनुशासन था और जो स्वयं अनुशासित है उस पर कोई शासन नहीं कर सकता था। इसलिए आज जगत में आपकी आत्मा पर अनुशासन ही आपको महान बनाता है। भगवान महावीर का अपनी सोच, अपने विचारों पर पूर्ण संयम था, संपूर्ण रूप से आत्मानुशासन था। उनका इसलिए आज हम सब वीरशासन में उपस्थित अनुशासन यानि संयम, जीवन मे संयम और गाडी में ब्रेक बहुत जरूरी है। बिना ब्रेक की गाडी और बिना संयम का जीवन विनाश की ओर ले जाते हैं, इसलिए जीवन में अनुशासन अनावश्यक है, ये आपको परम ऊंचाई पर ले जाएगा।




