विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सुप्रयास ने किया संगोष्ठी का आयोजन।

विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सुप्रयास ने किया संगोष्ठी का आयोजन।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास और 2030 एजेंडा के लिए अच्छा स्वास्थ्य आवश्यक है । यह व्यापक आर्थिक और सामाजिक असमानताओं, शहरीकरण, जलवायु संकट और एचआईवी और अन्य संक्रामक रोगों के निरंतर बोझ पर ध्यान केंद्रित करता है। तथा वर्तमान मे गैर-संचारी रोगों जैसी उभरती चुनौतियों को भी ध्यान में रखे हुए हैं। वैश्विक स्तर पर अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण की प्राप्ति पर महत्वपूर्ण ध्यान देने की आवश्यकता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेडिकल और पैरामेडिकल तंत्र को अंतिम पायदान पर कार्य करना होगा। उक्त वक्तव्य पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विनोद सक्सेना ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सामाजिक संगठन सुप्रयास द्वारा आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए। उक्त संगोष्ठी का आयोजन विवेकानंद नर्सिंग कॉलेज में किया गया था।
संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए सुप्रयास के सचिव डॉ. मनोज जैन ने कहा कि भारत की बढ़ती हुई आबादी के मद्देनज़र हमारी स्वास्थ्य सेवाएं बहुत कम पड़ रही हैं। इसलिए स्वास्थ्य को लेकर समाज को जागरूक करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जागरूकता और सजगता से बहुत सारी बीमारियों को हम न केवल आने से रोक सकते हैं अपितु उनको जल्दी ही नियंत्रित भी कर सकते हैं। दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य का अधिकार तेजी से खतरे में पड़ रहा है। बीमारियाँ और आपदाएँ मृत्यु और विकलांगता के कारणों के रूप में सामने आ रही हैं। कोविद के बाद लोग तेजी से हार्ट अटैक एवं फेफड़े संबंधी परेशानियां का शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य संबंधी संघर्ष जीवन को विनाशकारी बना रहे हैं, जिससे मृत्यु, दर्द, भूख और मनोवैज्ञानिक संकट हो रहा है इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष अपनी थीम “मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार” दी है।
संगोष्ठी में आगे बोलते हुए डॉ मयंक श्रीवास्तव ने कहा कि एसडीजी 3 का लक्ष्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की समान पहुंच हासिल करना है। इसमें नवजात शिशुओं, शिशुओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मृत्यु यानि बाल मृत्यु दर को समाप्त करने और महामारी को समाप्त करने का प्रस्ताव है।
डॉ करतार सिंह कुशवाह ने कहा कि जीवाश्म ईंधन का जलना एक साथ जलवायु संकट को बढ़ा रहा है और स्वच्छ हवा में सांस लेने के हमारे अधिकार को छीन रहा है, घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण से हर 5 सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की काउंसिल ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ हेल्थ फॉर ऑल ने पाया है कि कम से कम 140 देश अपने संविधान में स्वास्थ्य को मानव अधिकार के रूप में मान्यता देते हैं। फिर भी यह सभी देश यह सुनिश्चित करने के लिए कानून पारित नहीं कर रहे या जहां कानून बन भी गया है वहां यह व्यवहार में नहीं ला रहे हैं कि उनकी आबादी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को तक पहुंचने की हकदार है। तथा डॉ पीके वर्मा वैश्विक स्वास्थ्य जोखिमों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में सुधार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इस प्रकार की चुनौतियों का समाधान करने के लिए, विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 का विषय ‘मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार’ है। इस वर्ष की थीम गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और सूचना के साथ-साथ सुरक्षित पेयजल, स्वच्छ हवा, अच्छा पोषण, गुणवत्तापूर्ण आवास, सभ्य कामकाज और पर्यावरण की स्थिति और स्वतंत्रता तक पहुंच के हर किसी के अधिकार का समर्थन करने के लिए चुनी गई है। संगोष्ठी के अंत में डॉ देवेंद्र यादव मैं आभार व्यक्त किया।
डॉ मनोज जैन
(सचिव सुप्रयास)




