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सामाजिक संस्था सुप्रयास ने “राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस” के अवसर पर महिलाओं को किया जागरूक।

भारत दुनिया में सबसे अधिक मातृत्व मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। डॉ. सीमा जादौन।
सामाजिक संस्था सुप्रयास ने “राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस” के अवसर पर महिलाओं को किया जागरूक।

भारत दुनिया में सबसे अधिक मातृत्व मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 12 प्रतिशत महिलाओं की मौत गर्भावस्था, प्रसव और पोस्ट डिलीवरी के बाद होने वाली परेशानियों की वजह से होती है। इसलिए, सुरक्षित और स्वस्थ मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था, प्रसव और डिलीवरी के बाद आवश्यक देखभाल के बारे में जागरूक होना आवश्यक है। उक्त उद्गार डॉ. सीमा जादौन ने सामाजिक संस्था सुप्रयास द्वारा आयोजित “राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस” के अवसर पर महिलाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन राजेंद्र पार्क में सुबह योग कक्षा में किया गया।
सुप्रयास के सचिव डॉ. मनोज ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को 11 अप्रैल को इसलिए भी मनाया जाता है, क्योंकि 1987 में इसी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुरक्षित मातृत्व पहल को उद्घाटित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और प्रभावी ढंग से माता और नवजात की देखभाल को बढ़ावा देकर दुनिया भर में मातृ और नवजात मृत्यु दर को कम करना है।
इस अवसर पर सोनाली अग्रवाल ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान, प्रसव और डिलीवरी के बाद माता का विशेष ध्यान रखें। गर्भावस्था के दौरान महिला को एनीमिया की शिकायत न हो, इसके लिए आयरन युक्त आहार खिलाएं। डिलीवरी के बाद तेजी से रिकवरी हो सके, इसके लिए महिलाओं के आहार में पपीता, अजवाइन के लड्डू और पंजीरी जैसी चीजों को शामिल करना चाहिए, तथा हल्के व्यायाम और प्राणायाम तथा ध्यान का नित्य अभ्यास करना चाहिए। अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर कार्यक्रम का समापन किया गया।

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