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लोक अदालत मे 401 लंबित प्रकरणों का हुआ निराकरण,वर्षों से लंबित मुकद्में से छुटकारा पाकर लोगों के चेहरे पर खिली खुशी।

लोक अदालत मे 401 लंबित प्रकरणों का हुआ निराकरण,वर्षों से लंबित मुकद्में से छुटकारा पाकर लोगों के चेहरे पर खिली खुशी।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार दिनांक 11 मई, 2024 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन राजीव कुमार अयाची, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड के निर्देशानुसार एवं मनोज कुमार तिवारी (सीनियर) विशेष न्यायाधीश/समन्वयक अधिकारी नेशनल लोक अदालत तथा हिमांशु कौशल जिला न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड के मार्गदर्शन में किया गया। नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु जिला मुख्यालय भिण्ड एवं न्यायिक तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार हेतु कुल 27 न्यायिक खण्डपीठों का गठन किया गया था जिनमें सुलहकर्ता सदस्य के रूप मे नामित अधिवक्तागणों द्वारा अभूतपूर्व सहयोग प्रदान किया गया जिसके फलस्वरूप जिला मुख्यालय भिण्ड एवं तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार में लंबित कुल न्यायालयीन प्रकरण संख्या 401 प्रकरणों का निराकरण किया गया जिसमें कुल 919 पक्षकार लाभान्वित हुए तथा राशि 5721831/(सत्तावन लाख इक्कीस हजार आठ सौ इक्कतीस)-रूपये का अवार्ड पारित किया गया। उक्त प्रकरणों के अतिरिक्त प्रीलिटिगेशन जिनमें जलकर सम्पत्तिकर, विद्युत बी.एस.एन.एल, बैंक आदि के कुल प्रीलिटिगेशन प्रकरण संख्या 845 का निराकरण किया गया, जिसमें 1095 व्यक्तियों को लाभांवित किया गया तथा उक्त प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में कुल 1155220/-रूपये (ग्यारह लाख पचपन हजार दो सौ बीस रूपये) राशि वसूल की गई।
वर्ष 2024 की द्वितीय नेशनल लोक अदालत में गठित खण्डपीठो द्वारा कई मामलो में पक्षकारो के मध्य आपसी कटुता को समाप्त करते हुये दोनो पक्षो को मिलाने का कार्य किया गया तथा सफल प्रकरणों में पक्षकारो को पौधे भेट कर उन्हे जीवन में विवाद को समाप्त करने तथा शांतिपूर्वक सुखी एवं समृद्ध जीवन व्यतीत करने की सलाह भी दी गयी।
लोक अदालत में मिला न्याय, फिर खुशहाल हुआ एक परिवार।

तहसील न्यायालय लहार  राकेश बंसल, जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति, लहार की खण्डपीठ क्र. 14 के समक्ष लंबित प्रकरण जिसमें वादी व प्रतिवादी का विवाह हिंदू रीति-रिवाज से दिनांक 11.06.2019 को संपन्न हुआ था। विवाह के पश्चात् दिनांक 15.10.2023 को प्रतिवादी के पिता व भाई उसकी मां की तबीयत खराब होने का कहकर प्रतिवादी को साथ ले जाने हेतु वादी के घर गये और प्रतिवादी के परिवारजन द्वारा मां की तबीयत खराब होने के संबंध में इलाज हेतु रूपयों की मांग की, जिस पर वादी पति द्वारा 25 हजार रूपये नगद और जेबर के साथ प्रतिवादी पत्नी को उसके घर भेज दिया। उसके बाद वादी पति, प्रतिवादी पत्नी की मां का स्वास्थ्य देखने एवं प्रतिवादी पत्नी को लेने गया और कहा कि घर में पुत्रियां अकेली हैं उनको खाना बनाने के लिए कोई नहीं है जिस पर प्रतिवादी पत्नी के घर वालोें ने उसे को भेजने से मना कर दिया। दिनांक 05.02.2024 को फिर वादी अपनी पत्नी को लेने गया जिस पर उसके घरवालों ने वादी को ले जाने के लिए स्पष्ट मना कर दिया और वादी पति के साथ लड़ाई-झगडा किया, तब व्यथित होकर वादी पति ने जिला न्यायाधीश लहार के न्यायालय में धारा 9 हिंदू विवाह अधिनियम के उपबंधों के अधीन दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापना के अनुतोष हेतु याचिका प्रस्तुत की।

दोनो पक्ष (पति-पत्नी) नेशनल लोक अदालत में उपस्थित हुए उनको पीठसीन अधिकारी तथा उभयपक्ष के अधिवक्ताा अरूण प्रताप सिंह तथा अधिवक्ता संजीव नायक तथा न्यायालय के बाहर उनके गांव के लोगों द्वारा समझाईश दी गई, जिसका प्रभाव यह हुआ कि दोनों पक्षकार राजीनामा करने और साथ में रहकर दाम्पत्य कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए सहमत हो गये और दिनांक 11.05.2024 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में दोनों पक्षों ने बिना किसी दबाव, प्रभाव के स्वतंत्र सहमति से राजीनामा कर लिया और दोनों न्यायालय से ही एक साथ ग्राम इटाई चले गये।

लोक अदालत में मिला त्वरित न्याय, भाई-भाई के बीच चल रही पुरानी रंजिश का हुआ निराकरण।
खण्डपीठ क्र. 13 के पीठासीन अधिकारी विवेक माल, न्यायधीश भिण्ड द्वारा आज दिनांक 11.05.2024 को नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण क्र. 205/23 शा.पु. अटेर विरूद्ध दिलीप सिंह में फरियादी वीरपाल सिंह एवं आहत खुशी का विवादित आरोपी दिलीप सिंह से दिनांक 30.09.2022 को पुरानी रंजिश का मारपीट एवं गाली-गलौज का प्रकरण दर्ज हुआ था, जिसमें पक्षकारों के मध्य न्यायालय द्वारा समझाइश के पश्चात् उनके मध्य राजीनामा संभव हो सका। दोनों भाईयों के बीच हुए विवादित प्रकरण के निराकरण के फलस्वरूप भेंट के तौर पर फलदार वृक्ष सचिव द्वारा प्रदत्त किया गया। इस प्रकार वर्षों से चल रहा विवाद आपसी सुलहनामें से समाप्त हुआ तथा विखरा हुआ दो भाईयों का परिवार फिर से एक हुआ।

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