पर्यावरण संरक्षण के सूत्र रामायण में पूर्व से ही दिए गए हैं- प्रो. इकबाल अली।

पर्यावरण संरक्षण के सूत्र रामायण में पूर्व से ही दिए गए हैं- प्रो. इकबाल अली।
वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे पर शासकीय हाई स्कूल पुर में हुई कार्यशाला।
सामाजिक संस्था सुप्रयास द्वारा पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य 13: क्लाइमेट एक्शन को ध्यान में रखते हुए युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से शासकीय हाई स्कूल ग्राम पुर में वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे के अवसर पर 28 जुलाई को कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में पर्यावरणविद प्रोफेसर इकबाल अली ने कहा की आज सारा विश्व पर्यावरण के संकट से जूझ रहा है। जबकि हमारी रामायण में कहा गया छिति जल पावक गगन समीरा पांच तत्व मिल बना शरीरा। जिन पांच तत्वों से हमारा शरीर बना है उन्हीं पांच तत्वों से यह संसार बना हुआ है। 27 जुलाई को भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि भीं थी। डॉ कलाम ने भारत की सभी मिसाइल के नाम पांच तत्वों के आधार पर ही रखे थे चाहे वह अग्नि हो आकाश हो या ब्रह्मोस हो। प्रोफेसर अली ने आगे कहा कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां का पर्यावरण शुद्ध होता है क्योंकि अशुद्ध स्थान पर तुलसी पनप ही नहीं पाती है। यह हमारी भारतीय संस्कृति और संस्कार थे जो हमने भुला दिए और पर्यावरण का संकट हमारे सामने आया है।
कार्यशाला में शिक्षक प्रदीप कुमार कुशवाह ने कहा कि हर साल 28 जुलाई को, दुनिया भर के लोग विश्व संरक्षण दिवस मनाने के लिए एक साथ आते हैं, यह दिन हमारे प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण और सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। यह दिन आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा में प्रत्येक व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है।
शासकीय हाई स्कूल पुर के ही शिक्षक नारायण शर्मा ने कहा कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हमारी प्राकृतिक दुनिया का उत्सव मनाने और उसके संरक्षण में योगदान देने का एक उत्कृष्ट अवसर है।
सुप्रयास के सचिव डॉ मनोज जैन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अब हमारे सामने तत्काल सबसे बड़ी चुनौती है इसलिए हमें यह पांच उपाय करने चाहिए। सबसे पहले पेड़ लगाए क्योंकि पेड़ जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए और वन्य जीवों को आवास प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दूसरा जल स्रोतों की सफाई करें उनको सुरक्षित करें और संरक्षित करें। तीसरा पर्यावरण संरक्षण की चर्चा अपने घर में परिवार में दोस्तों में सोशल मीडिया में सब स्थान पर करें। चौथा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं को सपोर्ट करें। पांचवा जल का संरक्षण करें। अपने अपशिष्ट को कम करें, जब भी संभव हो वस्तुओं का पुन: उपयोग करें, और सामग्रियों को उचित रूप से रीसायकल करें। याद रखें, हर प्रयास, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, प्रकृति संरक्षण के बड़े उद्देश्य में योगदान देता है।
अंत में कुलदीप सिंह द्वारा कार्यशाला का आभार व्यक्त करके समापन किया गया।




