11वीं सदी का प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर, राजा पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर का कराया था निर्माण, स्वयंभू बताई जाती है वनखंडेश्वर की शिवलिंग।

11वीं सदी का प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर, राजा पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर का कराया था निर्माण, स्वयंभू बताई जाती है वनखंडेश्वर की शिवलिंग।भारत में दो अखंड ज्योति प्रज्वलित होने वाला इकलौता शिव मंदिर।11वीं सदी का प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर!
भिंड के सुप्रसिद्ध वनखंडेश्वर मंदिर जो गोरी सरोबर के किनारे स्थित है, ऐसा बताते हैं कि यह वन में स्वयं प्रकट हुए हैं थे इसलिए इन्हें स्वयंभू और वनखंडेश्वर कहते हैं, वनखंडेश्वर मंदिर को भारत के पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है, इस शिव मंदिर का निर्माण बर्ष 1175 ई. में राजा प्रथ्वीराज चौहान द्वारा कराया गया था, जिस समय मंदिर का निर्माण हुआ था,उस समय यहां घनघोर वन (जंगल) हुआ करता था इसलिए इसे वनखंडेश्वर मंदिर कहते हैं।
महोबा का युद्ध जीतने पर राजा ने कराया था निर्माण!
ऐसा बताते हैं कि राजा पृथ्वीराज चौहान जब महोबा की ओर युद्ध के लिए जा रहे थे तो रात्रि विश्राम यहीं पर किया था और उन्हें सपना हुआ था कि यहां पर शिवलिंग है जब सुबह देखा और सभी को पूछा तो कुछ चरवाहों ने बताया कि यहां मंदिर तो नहीं है लेकिन वन में शिवलिंग जैसी आकृति है तो राजा ने यहां आकर पूजा अर्चना की और कहा कि यदि वह महोवा युद्ध जीते तो मंदिर का निर्माण कराएंगे और राजा पृथ्वीराज चौहान महोबा का युद्ध जीते वापसी में उन्होंने 1175 में मंदिर का निर्माण कराया और अखंड ज्योत भी जलाई।
भारत में इकलौती वर्षों से प्रज्वलित दो अखंड ज्योत!
वनखंडेश्वर मंदिर भिंड में एक नहीं बल्कि दो ज्योति प्रज्वलित हो रही हैं ऐसा बताते है कि करीब 900 वर्षों से यह ज्योति प्रज्वलित हो रही हैं जिन्हें ‘अखण्ड ज्योति’ या ‘शाश्वत लौ’ भी कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि यह निरंतर प्रज्वलित हो रही है। अखंड ज्योति को लेकर बताया जाता है कि यहां मंदिर निर्माण के बाद राजा पृथ्वीराज चौहान ने अखंड ज्योति प्रज्वलित की थी और यह ज्योति प्रज्वलित होती रहे इसके लिए एक ज्योति और जलाई थी तब से लेकर आज तक पुजारियों की देखरेख में दो ज्योति निरंतर प्रज्वलित हो रही है और ऐसा कहा जाता है कि भारत में वनखंडेश्वर मंदिर ही ऐसा इकलौता मंदिर है जहां बरसों से दो अखंड ज्योति प्रज्वलित हो रही हैं।
हर सोमवार को महा आरती एवं होता है श्रृंगार!
वनखंडेश्वर मंदिर में हर सोमवार को ‘महाआरती’ होती है और मंदिर का श्रृंगार भी किया जाता है, महाशिवरात्रि उत्सव के दौरान हर साल यहां एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। श्रावण मास के महीने में दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।
शिवरात्रि एवं श्रावण मास में कांवढ़िया चढ़ाते हैं जल!
भिंड के प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर में शिवरात्रि एवं श्रावण मास में सैकड़ो की संख्या में कांवड़िया सोरों, हरिद्वार एवं सिंगी रामपुर से जल भरकर लाते है और वनखंडेश्वर मंदिर पर जल चढ़ाते हैं, शिवरात्रि एवं श्रावण मास में सुरक्षा व्यवस्था की बात करें तो प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहता है और चाक चौबंद व्यवस्था की जाती है।
दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना होती है पूर्ण!
ऐसी मान्यता है कि वनखंडेश्वर मंदिर के दर्शन मात्र से ही सभी की मनोकामना होती है पूर्ण। भिंड के लोग शुभ कार्य की शुरुआत से पहले यहां आकर पूजा अर्चना करते है और तब अपना कार्य प्रारंभ करते हैं, अपनी मनोकामना लेकर भिंड के अलावा भी दूर दराज से लोग आते हैं और वनखंडेश्वर महादेव के दर्शन कर लाभ उठाते हैं।
जीर्णोद्धार के बाद वियतनाम का लगाया है पत्थर!
भिंड का सुप्रसिद्ध वनखंडेश्वर मंदिर गौरी सरोवर के किनारे स्थित है और बहुत पुराना प्राचीन मंदिर है और करीब 2 वर्ष पूर्व संजीव सिंह पूर्व विधायक के द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार क कराया था जिसमें वियतनाम देश का पत्थर लगवाया गया है, जो मंदिर की खूबसूरती को चार चांद लग रहा है। आज मंदिर में श्रावण मास के आखिरी सोमवार को दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है, मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।
भिंड से प्रदीप राजावत की रिपोर्ट।




