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श्रीराम कथा में पांचवे दिन प्रभु की लीलाओं का वर्णन सुनाया

पिलुआ वाले हनुमान मंदिर बिरगवा (पावई) में चल रही है श्रीराम कथा

भिण्ड। पिलुआ वाले हनुमान मन्दिर ठाकुरन का पुरा बिरगवां पावई में संगीतमयी श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। कथा के आयोजक सरपंच सपेन्द्र सिंह भदौरिया व पारीक्षत महंत श्री चरनदास बाबा द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस कथा वाचक पं. श्याम सुंदर तिवारी ने प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं और उनकी शिक्षा का प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया।
कथा व्यास पं. तिवारी ने भगवान राम की बाल लीलाओं के साथ उनके शिक्षा-दीक्षा का वर्णन करते हुए कहा कि आनंद की अनुभूति सभी को अलग-अलग होती है, कथा कहने और सुनने वाले को भी अलग अनुभूति होती है। भगवत का जिसको अनुभूति हो जाए उसका अलग ही सौभाग्य हो जाता है। जब तक भगवान हृदय में वास न करे तब तक मन को सुकून नहीं मिलता है। ठाकुर की अयोध्या जैसे थी वैसे ही है। भगवान राम का नामकरण हो गया। दूसरे लोग आकर अयोध्या में बधाई गाने के लिए आ गए, एक माह तक आनंद महोत्सव अयोध्या में प्रतिदिन लगता है। जैसे भगवान असीम है वैसे आनंद असीम है, आनंद प्रभु के स्मरण में है, भजन में है।
कथा व्यास ने प्रभु राम के बाल रूप का वर्णन करते हुए बताया कि प्रभु रामचंद्र ने बाल क्रीड़ा की और समस्त नगर वासियों को सुख दिया। माता कौशल्या ने रामचंद्र जी को स्नान कराया और श्रृंगार करके पालने पर लिटा दिया। माता पूजा के स्थान पर लौट आईं तो वहां आने पर पुत्र को भोजन करते देखा। माता भयभीत होकर पालने के पास गईं तो वहां बालक को सोते हुए देखा। फिर देखा कि वही पुत्र वहां भोजन कर रहा है। वह सोचने लगीं कि यहां और वहां मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण। श्रीराम माता को घबराया हुआ देखकर उनको अपना अखण्ड अद्भुत रूप दिखाया, जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं। माता को आश्चर्यचकित देखकर श्रीराम फिर बाल रूप हो गए। भगवान श्रीराम के बाल रूप के दर्शन करने ज्योतिषी का वेश धारण कर आए। इस अवसर पर शास्त्री द्वारा श्रीराम जन्म और भगवान राम की बाललीला पर आधारित मधुर गीतों का गायन कर श्रृद्धालुओं को भक्ति रस में डुबा दिया गया। श्रीराम कथा में जिले से आऐ समस्त मीडिय कर्मियों का पारीक्षत ने शॉल व श्रीफल देकर कथा व्यास द्वारा सम्मान कराया।

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