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दबोह में माता के जयकारों के साथ मन्दिर पर चढ़े जबारे

दबोह। दबोह क्षेत्र के प्राचीन मन्दिर रणकौशला देवी मां के दरबार में स्थानीय और बाहर से आए श्रृद्धालुओं ने जबारे चढ़ाए। गुरुवार को नवरात्रि की नवमी के दिन मां का दिव्य दरवार सजाया गया। इसके साथ ही एक विशाल मेला भी लगा। चैत्र मास की नवरात्रि में मां रणकौशला के मन्दिर पर नौ दिन तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहता है। लोगों के द्वारा चैत्र व कार्तिक की नवरात्रों में क्षेत्र में भक्त अपने-अपने घरों पर मां का स्वरूप माने जाने वाले जबारे भी बोते हैं। साथ ही उन जबारों की नौ दिन तक मां की शक्ति के भाव से सेवा करते हैं। फिर इन जबारों को माता, बहिनें अपने सर पर रखकर पैदल मां के दरबार पर चढ़ाने के लिए ले जाती हैं।
गुरुवार को रामनवमी के दिन मां के भक्तों ने मातारानी के जयकारों के साथ डीजे पर युवा नाचते-थिरकते मां के दरवार पहुंचे और उन्होंने अपने-अपने जबारे मातारानी को अर्पित किए। माता के दरबार में बुधवार रात से जबारे चढ़ाने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है। वहीं मन्दिर पर सुरक्षा की कमान थाना प्रभारी संजीव तिवारी समेत थाना दबोह स्टाफ ने सम्हाली।
अनोखी है महिमा मां रणकौशला देवी की
दबोह नगर से दो किमी दूर ग्राम अमाहा क्षेत्र में वर्षों पुराना ऐतिहासिक शक्ति पीठ मां रणकौशला (रेहकोला) देवी माता का मन्दिर है। जो कि हमेशा की तरह फिर अपने निखार के साथ आकर्षण का केन्द्र बना। यहां बता दें कि नवरात्रि में रोजाना हजारों श्रृदालु माता के दर्शन करने सुबह तीन बजे से ही पहुंचने लगते हैं। देवी मां का मन्दिर ऐसा है, जहां उनकी पूजा एक अदृश्य शक्ति करती है। इस शक्ति मन्दिर से जुड़े कई रहस्य हैं। इस मन्दिर में उनके परम भक्त वीर मलखान देवी की पूजा कपाट खुलने से पहले ही करते हैं, ऐसा क्षेत्रीय लोगों का मानना है। रेहकोला देवी को मां रणकौशला देवी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस मन्दिर में आने से सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मन्दिर से एक बेहद आश्चर्यजनक बात जुड़ी है। कहा जाता है कि इस मन्दिर में एक अदृश्य शक्ति पूजा करने आती है और सर्वप्रथम देवी की पूजा ये शक्ति ही करती है, शक्ति के उपासकों के लिए देवी का ये मन्दिर बहुत महत्व रखता है।
हजारवीं शताब्दी पुराना है माता का मन्दिर
रेहकोला देवी का मन्दिर हजारवीं शताब्दी का बताया जाता है। इसका निर्माण चन्देल राजाओं ने कराया था और यहां देवी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना आल्हा उदल के बड़े भाई सिरसा राज्य के सामंत वीर मलखान एवं उनकी पतिव्रता पत्नी गजमोतिन ने की थी। वीर मलखान देवी के बहुत बड़े भक्त माने जाते है। वहीं मन्दिर परिसर में नवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में श्रृद्धालुओं का तांता लगता है। क्योंकि नवरात्रि पर मां के दर्शन के लिए मप्र सहित उप्र, राजस्थान व अन्य कई राज्यों के लोग आते हैं।

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