No Slide Found In Slider.
धर्मब्रेकिंग न्यूज़राज्य

परम अहिंसा और प्रेम के जागरण का नाम पंच कल्याणक है : पुष्पदंत सागर

जन्म कल्याणक का जीवंत चित्रण महावीर कीर्ति स्तंभ पर

भिण्ड। परम अहिंसा और प्रेम का उत्सव का नाम पंच कल्याणक है, परम ज्ञान की गंगा के अवतरण का नाम प्रेम है, जो व्यक्ति के प्रति नहीं समष्टि के सभी जीवों के प्रति होता है तीर्थंकर स्वयं के साथ-साथ जगत का कल्याण भी करते हैं, इसीलिए उनके शरीर में रक्त श्वेत रंग का होता है, दूध के समान करुणा और प्रेम उनके लगभग में समाया होता है। यह उद्गार गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने चंद्र प्रभु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रथम दिवस गर्भ कल्याण के अवसर पर महावीर कीर्तिस्तंभ पर सभा को संबोधित करते हुए व्यक्ति किए।
उन्होंने कालचक्र के संबंध में बताते हुए कहा कि कर्म बंधन से आत्मा को मुक्त करना यानी आत्मा का कल्याण करना। जन्म को सार्थक करने के पहले गर्भ का शुद्धिकरण करना परम आवश्यक है, इसीलिए तीर्थंकर की माता की सेवा करने के लिए गर्भ की शुद्धि करने के लिए स्वर्ग से अष्ट देवी आती हैं। गर्भ में जो संस्कार पड़ते हैं, वह जीवन में आगे बढऩे का कार्य करते हैं, अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में घुसने की कला गर्भ से ही सीखी थी।
गणाचार्यश्री ने जन्म शब्द का संधि विच्छेद करते हुए कहा कि ज- पुनर्जन्म नहीं, म-मरण नहीं। जन्म जरा मृत्यु से ऊपर उठकर परम तत्व को प्राप्त करते हैं। तीर्थंकर का जन्म पृथ्वी पर तब होता है, जब आप और मिथ्यात्व बढऩे लगता है। तो सम्यक्त का जागरण करने के लिए प्राणी मात्र में प्रेम और अहिंसा का संचार करने के लिए तीर्थंकर पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। प्रेम और करुणा तीर्थंकर के जन्म की पर्याय होती है, जिस कारण प्राणी मात्र अपना बैर घृणा का त्याग कर प्रेम से रहना सीख जाते हैं। महावीर जहां तप करते थे गाय और शेर एक साथ बैठकर एक घाट पर पानी पिया करते थे।
सुहावने मौसम के बीच पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आरंभ हुआ। भव्य जुलूस किला रोड से निकाला गया। हाथी पर बैठकर माता-पिता ऐसे लग रहे थे जैसे स्वर्ग के साक्षात देव पृथ्वी पर उतर आए हों। नाचते गाते हुए नगर भ्रमण कर जुलूस पंचकल्याणक स्थल पर पहुंचा, महिलाओं बालिकाओं ने बैण्ड की थाप पर जमकर नृत्य किया। पूरा नगर केसरिया-केसरिया नजर आया। पूज्य गुरुदेव के अनन्य भक्त प्रमोद जैन ग्वालियर वालों द्वारा मण्डप उद्घाटन किया गया तथा दोपहर में याग मण्डल आदि विधान किया गया। संध्याकालीन समय में आनंद यात्रा का कार्यक्रम हुआ।
महोत्सव में गणचार्य के साथ आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज, क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर महाराज, मुनि श्री प्रभाव सागर महाराज ने भी अपनी पावन उपस्थिति दर्ज कराई। विधि विधान का कार्य प्रतिष्ठाचार्य अजीत शास्त्री, सह प्रतिष्ठाचार्य शशिकांत शास्त्री संपन्न किया। मंच संचालन उमेश शास्त्री ने किया। रात्रि आठ बजे गर्भ कल्याणक के मनोहारी दृश्य दिखाए गए।
शुक्रवार को जन्म कल्याणक महा महोत्सव के जीवन पर चित्र दिखाए जाएंगे। 11 बजे जन्मोत्सव जुलूस एवं जन्मा विशेष का कार्यक्रम संपन्न होगा। पूज्य गणाचार्य के मंगल प्रवचन संध्याकालीन समय में पालना बाल कीड़ा विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं 6.30 बजे आनंद यात्रा गुरू भक्ति का कार्यक्रम होगा।

a

Related Articles

Back to top button