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डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती समरसता दिवस के रूप में मनाई जाएगी- डॉ अरविंद सिंह भदौरिया।

अम्बेडकर जयंती महोत्सव को समरसता दिवस के रूप में मनाने का संकल्प-अरविंद सिंह भदौरिया।
सहकारिता मंत्री डॉ रमन सिंह भदोरिया ए भाई देवेंद्र सिंह भदौरिया ने प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि 14 अप्रैल को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती सभी लोग मिलकर मनाएंगे जिसका एक प्रेस नोट भी जारी किया है जिसमें लिखा है कि सभी महानुभावों को सूचित करते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है कि 14 अप्रैल को भारत रत्न संविधान के जनक डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती महोत्सव को समरसता समानता दिवस के रूप में मनाने संकल्प लिया है। यह कार्यक्रम पुरानी रेल्वे लाइन रेंमजापुरा रोड पर स्थित कलश मैरिज गार्डन में होगा। इस कार्यक्रम में विभिन्न अंचल से लगभग 10 हजार लोगों की उपस्थिति की संभावना है, जो सुबह 10.00 बजे से दोप.2.00 बजे तक आयोजित किया जायेगा। विकास पुरुष जनहितैषी सामाजिक समरसता के पुरोधा हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एवं गरीब सर्वहारा वर्ग के मसीहा हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के मार्गदर्शन में इस जयंती महोत्सव को समरसता समानता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया है। आज तक यह जयंती एक वर्ग विशेष के द्वारा ही मनाई जाती थी, इस बार भारत रत्न बाबा साहब की जयंती सभी वर्गों के लोगों द्वारा मनाने का निश्चय किया गया है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा भारतीय संविधान लिखा गया हमारा भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसमें विभिन्न देशों के मूलतत्वों को समाहित किया गया है। संविधान द्वारा ही हमें संरक्षण एवं मौलिक अधिकार प्रदत्त है जिससे सभी जीवों का नही अपति वन्य पौधों वनस्पतियों का संरक्षण भी होता है। इस जयंती महोत्सव के लिए अटेर क्षेत्र के सभी गांवों में बी.जे.पी. मण्डल अध्यक्षों द्वारा पीले चावल एवं कलैण्डर देकर लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस जयंती को मनाने उद्देश्य समाज में आपस में भ्रातृत्व, समानता, समरसता की भावना जाग्रत करना है। बाबा साहब के 3 मूलमंत्र थे शिक्षित बनो,संगठित रहो एवं संघर्ष करो। इन मंत्रों के साथ समाज में बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर इस समाज एवं राष्ट्र को नई गति, नया जीवन एवं नई तरूणाई प्रदान करना चाहते है। इस कार्यक्रम में सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को भी सम्मानित किया जायेगा, जिन्होंने अपने स्कूिल में महारथ हासिल की है या समाज में एकता एवं अखण्डता और विकास के लिए नये मापदण्ड अपनायें है। इस जयंती के माध्यम से हम चंबल की धरा से संपूर्ण देश में संदेश देना चाहते है कि चंबल की शस्य श्यामला माटी जो वीरता बलिदान और विजय के लिए जानी जाती है वह समरसता, भ्रातृत्व एवं भाईचारे के लिए भी जानी थी।

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