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विद्या भारती की पंचपदी शिक्षण पद्धति से होगा छात्रों का समग्र विकास : राजेन्द्र सिंह

सरस्वती शिशु मन्दिर आवासीय विद्यालय में चल रहा है नवीन आचार्य विकास वर्ग

नर्मदापुरम। विद्या भारती मध्य भारत प्रांत भोपाल की योजनानुसार नव चयनित आचार्य, दीदियों का सात दिवसीय नवीन आचार्य विकास वर्ग सरस्वती ग्रामोदय विद्यालय गोविन्द नगर में चल रहा है।
जिसमें तृतीय दिवस के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए शैक्षिक अनुसंधान केन्द्र के निदेशक लज्जाराम तोमर और क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख राजेन्द्र सिंह परमार ने कहा कि विद्या भारती की अभिनव पंचपदी शिक्षण पद्धति से आचार्यों एवं छात्रों का समग्र विकास होगा। उन्होंने व्यक्तित्व विकास- पंचकोशात्मक विषय पर विस्तार से चर्चा की और जानकारी दी। हम सभी को मिलकर अमृत पीढ़ी का निर्माण करना है, जिसमें आप सभी आचार्य दीदियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। लज्जाराम तोमर विद्या भारती के प्रथम संगठन मंत्री और बहुत बड़े शिक्षा विद हुए, जिन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी पंचपदी शिक्षण पद्धति पुस्तक काफी लोकप्रिय हुई।

परमार ने कहा कि मनुष्य के विकास में पंचकोशों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय, विज्ञान मय और आनंद मय कोश पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां हमारे अंदर होती हैं, एक हमारे विचारों को ग्रहण करती हैं। मनुष्य का शरीर ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है। इसका स्वस्थ रहना आवश्यक है, तभी हम समाजसेवा कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि नर सेवा नारायण सेवा होती है। हमें समाज सेवा सच्चे मन से सहृदय और निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए। जिज्ञासा ज्ञानार्जन का आधार है। अर्थात सीखने की पहली शर्त जिज्ञासु होना है और सच्ची श्रृद्धा चाहिए। श्रृद्धावान लभते ज्ञानम, हमें नीर-क्षीर विवेक वाली युवा पीढ़ी का निर्माण करना है। सर्वांगीण विकास की संकल्पना राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आई है। विद्या भारती का लक्ष्य हम पढ़े तो उसमें भी लिखा है कि हमें आने वाली युवा पीढ़ी का सर्वांगीण विकास करना है। एनईपी-2020 में 5+3+3+4 की नई शिक्षण पद्धति के बारे में जानकारी दी। जिसमें कक्षा अरुण, उदय, प्रभात, प्रथमा, द्वितीया और तृतीया से पंचमी तथा छटवी से आठवी और 10 व 12वी कक्षाओं को समाहित किया गया है। आगे उन्होंने कर्म फल का सिद्धांत, हमारी मातृभाषा, संस्कृति, मन की अवस्था, अंत:करण चतुष्ट, संतुलित आहार, पंचकोशों का समुचित विकास आदि बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर विभाग समन्वयक सुनील दीक्षित, वर्ग संयोजकद्वय मुकेश कुमार शुक्ला, राजेन्द्र सिंह ठाकुर, महेन्द्र प्रताप सिंह चौहान, (जिला प्रमुख) वर्ग के मुख्य शिक्षकद्वय चंद्रशेखर टैगोर, योगेश पटेल, श्रीमती ममता यादव, श्रीमती प्रीति यादव आदि कार्यकर्ता और आचार्य-दीदी उपस्थित रहे।

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