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प्रभु की भक्ति का स्मरण ही सुख को और बढ़ा देता है : विनय सागर

मुनिश्री के सानिध्य में रानी विरागवां में 32 मण्डलीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान में हुई सिद्धों की आराधना

भिण्ड। कभी दुख व संकट आए तो अपने भीतर समता रखना, कदापि विचलित नहीं होना, भयभीत होकर गलत कार्य नहीं करें। प्रभु की शरण में आना चाहिए। दुख में सारे सहारे बेसहारे हो जाते हैं तो प्रभु को याद करें। दुख कभी भगवान नहीं देते, यह तो तुम्हारे द्वारा किए गए कर्म का परिणाम होते हैं। यदि सुख आ जाए तो भी प्रभु को भूलना नहीं चाहिए। लगातार प्रभु की भक्ति का स्मरण ही सुख को और बढ़ा देता है। प्रभु से यही कामना करनी चाहिए कि मेरे कारण किसी को भी दुख न हो। यह विचार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने मंगलवार को ग्राम रानी विरागवां में स्थित दिगंबर आदिनाथ जैन मन्दिर में आयोजित 32 मण्डलीय सिद्धचक्र विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि ईश्वर किसी को सुख या दुख नहीं देता है। इंसान के कर्मों से सुख और दुख आता है। जीवन में हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए, मुस्कुराने से ही जीवन के कई संकट खत्म हो जाते हैं। इसलिए अधिक से अधिक हंसते हुए जीने की आदत डालनी चाहिए। मुनिश्री के पाद प्रक्षालन रतनलाल जैन भिण्ड एवं शास्त्र भेट संजू मंजू जैन परिवार ने किए। आतिथियों का सम्मान पारस जैन, मोटू जैन, मोहित जैन, छोटू जैन, पप्पू जैन ने किया।
इन्द्रों ने कलशों से किया भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक, उतारी महाआरती
मुनिश्री के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि महोत्सव के विधानचार्य पं. राजेन्द्र जैन शास्त्री मगरौनी ने मंत्रोच्चरण के साथ इन्द्रों ने कलशों में शुद्धजल भरकर भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक जयकारों के साथ किया। मुनिश्री ने अपने मुखारबिंद से भगवान जिनेन्द्र की शांतिधार संतोष जैन, प्रदीप जैन परिवार ने की। अभिषेक के उपरांत भगवान की महाआरती महिलाओं ने की। सिद्धचक्र महामण्डल विधान श्रृद्धाभाव के साथ प्रारंभ किया गया।
महोत्सव के दूसरे दिन इन्द्रा-इन्द्राणियों ने 16 अघ्र्य किए समर्पित
मुनि श्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य राजेन्द्र जैन शास्त्री ने 32 मण्डलीय सिद्धचक्र विधान में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर मुकुट और गले में माला पहनकर भक्तिभाव के साथ पूजा आर्चन कर सिद्ध प्रभू की आराधन करते हुए 16 महाअघ्र्य भगवान जिनेन्द्र को समर्पित किए।
आठ दिवसीय विधान में प्रतिदिन होंगे यह कार्यक्रम
आयोजन समिति के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे से जाप्यानुष्ठान, सात बजे से जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक शांतिधार, 8.30 नित्य पूजन व सिद्धचक्र महामण्डल विधान होगा। वहीं शाम 6.30 बजे से महाआरती, शास्त्र प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

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