अंतर्राष्ट्रीय भागवत आचार्य साध्वी सर्वेश्वरी दासी का अभूतपूर्व हुआ भव्य स्वागत।

भिंडी ऋषि की पावन धरा पर परम पूज्य अंतर्राष्ट्रीय भागवत आचार्य साध्वी सर्वेश्वरी दासी का अभूतपूर्व हुआ भव्य स्वागत।
परमात्मा को प्राप्त करने के लिए मन का शुद्ध होना अति आवश्यक है/साध्वी सर्वेश्वरी दासी।
भिंड के ग्राम गजराज सिंह का पूरा बारा खुर्द नुन्हाटा में दुर्गा देवी मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिवस के शुभ अवसर पर बोलते हुए अंतरराष्ट्रीय भगवताचार्य परम पूज्य साध्वी सर्वेश्वरी दासी ने कहा परमात्मा को प्राप्त करने के लिए मन का शुद्ध होना अति आवश्यक है, जो मनुष्य छल कपट और ईर्ष्या द्वेष रखते हैं और जिनका मन निर्मल नहीं होता ऐसे मनुष्यों को भगवान प्रेम नहीं करते और उनकी सारी पूजा पाठ व्यर्थ होती है, उन्होंने आगे कहा एक समय एक भक्त ने भगवान से पूछा कि आप प्रभु कैसे प्रसन्न होते हैं क्या आपकी 108 परिक्रमा करने से या पुष्प धूप दीप लगाने से या 56 भोग की प्रसादी चढ़ाने से तो भगवान ने भक्त से कहा मैं तो सिर्फ भाव का भूखा हूं और जिन भक्तों का मन निर्मल होता है वह भक्त मुझे अति प्रिय है,
श्रीमद् भागवत कथा के सातवें अवसर पर साध्वी सर्वेश्वरी दासी ने आगे बताया की भागवत ग्रंथ एक ऐसा फल है जो ब्रह्म रूपी वृक्ष से प्रकट हुआ है और फिर नारायण की डाली पर आया, नारायण रूपी डाली से लक्ष्मी जी ने गमछ लिया, लक्ष्मी जी के द्वारा देवर्षि नारद तक गया, देवर्षि नारद के द्वारा गणेश भगवान तक गया ,और गणेश जी ने वेदव्यास जी को दिया, तथा वेदव्यास के द्वारा सुखदेव भगवान को मिला और सुखदेव जी के द्वारा हम सब भक्तों को श्रीमद् भागवत रूपी फल प्राप्त हुआ,कथा के अंतिम समय पर श्रद्धालु भक्तों द्वारा भव्य आरती की गई, इसके पश्चात कथा पंडाल में उपस्थित हजारों भक्तों और श्रद्धालु गणों के द्वारा मां सर्वेश्वरी दासी का ऐतिहासिक और अभूतपूर्व पुष्प वर्षा कर भव्य तरीके से स्वागत वंदन अभिनंदन किया गया।




